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लेखक:

मनोज दास

उड़ीसा के एक समुद्रतटीय गाँव में सन् 1934 में जनमे मनोज दास ग्राम्य लोक और प्राकृतिक वैभव के बीच पले-बढ़े। पढ़ाई पूरी करने के बाद 1959 में उन्होंने कटक के एक कॉलेज में अंग्रेजी अध्यापक के रूप में काम शुरू किया और 1963 में वे श्री अरबिन्दो आश्रम, पांडिचेरी में आ गए। तब से अबी तक श्री अरबिन्दो इंटरनेशनल सेंटर फॉर एजुकेशन में अंग्रेजी साहित्य के प्रोफेसर हैं।

मनोज दास जब नौवीं कक्षा में थे तभी उनका पहला काव्य संग्रह ‘शताब्दीर आर्त्तनाद’ प्रकाशित हुआ था। अगले वर्ष से उन्होंने साहित्यिक पत्रिका ‘दिगंत’ निकालनी शुरू की जो आगे चलकर उड़िया में विचारों और साहित्य की गंभीर पत्रिका बनी। लगभग उसी समय से उन्होंने कहानियाँ लिखनी भी शुरू कीं। उनका पहला कहानी संग्रह समुद्रर क्षुधा, 1951 में प्रकाशित हुआ।

मनोज दास ने साहित्य की अनेक विधाओं को समृद्ध किया है। उनकी 38 प्रकाशित कृतियाँ हैं लेकिन वे मुख्य रूप से कथा लेखक के तौर पर ही उभरे हैं। 1967 से उन्होंने अंग्रेजी में भी लिखना शुरू किया और अब वे अंग्रेजी और उड़िया दोनों के लेखक के तौर पर स्थापित हो चुके हैं।

कई दशकों तक मुख्यतः कहानियाँ लिखने के बाद मनोज दास उपन्यास लेखन की तरफ मुड़े हैं। 1992 में उनका पहला उपन्यास ‘प्रभंजन’ प्रकाशित हुआ। सरस्वती सम्मान के लिए चुना गया उपन्यास ‘अमृतफल’ 1996 में प्रकाशित हुआ था। इसके बाद सन् 2000 में उनका उपन्यास ‘तंद्रलोकर प्रहरी’ भी आ चुका है।

अंग्रेजी में लगभग 40 पुस्तकें प्रकाशित हैं तथा इतनी ही पुस्तकें मातृभाषा उडि़या में भी। उपन्यास ‘साइक्लोंस’, ‘श्रीअरविंदो इन द फर्स्ट डिकेड ऑफ द सेंचुरी’ एवं ‘श्रीअरविंदो’ प्रसिद्ध रचनाएँ हैं। इनके अलावा बाल साहित्य की विपुल मात्रा में रचना की है। दैनिक समाचार-पत्रों में नियमित रूप से स्तंभ-लेखन भी करते रहे हैं। सृजनात्मक लेखन के लिए भारत के राष्‍ट्रीय पुरस्कार, साहित्य अकादेमी पुरस्कार, उडि़या साहित्य अकादेमी पुरस्कार (दो बार) सहित अन्य अनेक पुरस्कार-सम्मानों से विभूषित किया जा चुका है।

भारत के राष्‍ट्रपति ने इन्हें ‘पद्मश्री’ अलंकरण से विभूषित किया; प्रतिष्‍ठित ‘सरस्वती सम्मान’ के साथ-साथ साहित्य अकादेमी की महत्तर सदस्यता से भी सम्मानित किए गए।

अमृतफल

मनोज दास

मूल्य: Rs. 125

उज्जयिनी के आमोदप्रिय और लोकप्रिय राजा भर्तृहरि को एक योगी ने अचानक थमा दिया एक अमृतफल। दीर्घजीवन और यौवन प्रदान तथा मृतसंजीवनी उसका गुण। राजा ने वह फल लेकर दिया अपनी छोटी रानी को।

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आकाश संकेत

मनोज दास

मूल्य: Rs. 200

‘आकाश-संकेत’ वर्तमान समाज की विद्रूपताओं, उठा-पटक, आम आदमी की दयनीयता तथा सफेदपोश समाज के काले कारनामों का पर्दाफाश करता है।   आगे...

धूमाभ दिगन्त

मनोज दास

मूल्य: Rs. 60

प्रस्तुत है उडिया मूल का हिन्दी रूपान्तर....   आगे...

पुस्तकें जो अमर हैं

मनोज दास

मूल्य: Rs. 4

नेहरू बाल पुस्तक...   आगे...

महान योगी श्री अरविन्द

मनोज दास

मूल्य: Rs. 9

नेशनल बुक ट्रस्ट की सतत् शिक्षा पुस्तकमाला सीरीज़ के अन्तर्गत एक रोचक पुस्तक, श्री अरविन्द जी का जीवन इतना घटनापूर्ण है कि उस पर विराट जीवनी लिखी जा सकती है।   आगे...

मेरा नन्हा भारत

मनोज दास

मूल्य: Rs. 75

एक दार्शनिक के साथ भारत भ्रमण के दौरान आपको मिलेंगी अनुश्रुतियां, ऐतिहासिक प्रसंग और कुछ ऐसे नए व पुराने चरित्र, जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता।   आगे...

संदूक में दुल्हन तथा अन्य कहानियां

मनोज दास

मूल्य: Rs. 25

रोचक बाल-कथा संग्रह...   आगे...

सरस कहानियाँ

मनोज दास

मूल्य: Rs. 14

सरस कहानियाँ....   आगे...

 

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